परिश्रम का फल सदैव मिलता है
काफी समय पुरानी बात हैगुरु वह उनका शिष्य एक आश्रम मैं रहते थे गुरुजी उस शिष्य कोप्रतिदिन दो घोड़ा पानी लाने कोकहते थे तथा एक दिन की बात है दो घड़ों में से एक घड़े में बीच से छेद हो गया......तथा फिर भी वह उस घड़े से रोजा पानी भरकर लातापरंतु वहां पानी आश्रम तक आते आते हैं आधा ही बच पाता तथा यहां सब लगभग दो साल तकयूं ही चलते रहो जब वह परेशान हो गया.....तो उसमें अपने गुरुदेव से कहां जी गुरु जी मैं प्रतिदिन घड़े मेंजल भरकर लाता हूं परंतु इस घड़े का पानी आश्रम तक आते-आते आधा ही बच पाता हैतथा गुरु जी मैं इस कारण परेशान हो गया हूं.......तो गुरुजी ने कहा बेटा तुम कल जब पानी भरना जाओ तो देखना के जो मटका फूटा हुआ था उस रास्ते पर.......इस तरह का परिवर्तन आता है तथा मुझे तुम आकर बताना दूसरे दिन सुबह जब फिर से शिष्य नदी में जल लेनाकाफी समय पुरानी बात है गुरु वह उनका शिष्य एक आश्रम मैं रहते थे गुरुजी उस शिष्य कोप्रतिदिन दो घोड़ा पानी लाने कोकहते थे तथा एक दिन की बात है दो घड़ों में से एक घड़े में बीच से छेद हो गयापरंतु फिर भी वह प्रतिदिन की तरह घड़े में नदी से पानी भरकर आता और प्रतिदिन नहीं घड़े का पानी आश्रम तक आते आते आधा मटका पानी ही बच पाता हूं परंतु उसके गुरु जी ने कहा थाबेटा तुम पानी का मटका नदी से पूरा ही भरकर लाना तथा उस ने भी ऐसा ही किया तथा ऐसे ही दो वर्षों तक चलता रहा1दिन तक हार कर शिष्य ने पूछा कि मुझे गुरु जी मैं रोज इतनी मेहनत कर करइन दोनों घरों को नदी से भर कर लाता हूं परंतु एक घड़ा आधा खाली हो जाता हैशिष्य की यह बात सुनकर गुरु जी बोले कि बेटा कल जब तू पानी भरने जाएगातो जिस तरह वह पोता मटका तू रखता था उस रास्ते का एक बार अच्छे से देखते हुए आनाशिष्य ने ऐसा ही किया वहां नदी से जब पानी भर कर लाने लगा तो उसने रास्ते में देखा कीजिस साइट फूटा हुआ मटका का था उस साइड फूलों की लाइन लगी हुई थी और यह सब बात उसने अपने गुरु जी को बताएं तथा गुरु जी ने बोला कि बेटा यह मुझे पता था वाह बीच में से छेद हो चुका हैतथा इसी कारण मैंने उस रास्ते पर फूलों के बीच लगा दिया तथा उस पानी के मिलने से इतने सुंदर सुंदर फूल आ गए तथा प्रकृति की सुंदरता बढ़ गई
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